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Showing posts from April, 2011
कोरे पे सभो रंग चढ़े मो पे चढ़े न कोए सभो रंग रंगके देखे मो पे रंगे न कोए मै दुखिया निकली जग को देखन रंगों ने खेल सभो जन ईर्श्यये मोहे देखत मो सा सभो चाहत होए